हेल्पर भत्ता (Helper Allowance) खर्चे पर आधारित छूट हैं।
मतलब जितना भी आप खर्चा करोगे केवल उतने की ही आपको छूट मिलेगी बाकी बचा पैसा टैक्सेबल होगा।
लेकिन आपको जितना हेल्पर अलाउंस मिलता है अगर आप उससे ज्यादा खर्च करते हो तो आपको केवल उतनी ही छूट मिलेगी जितना आपको सहायक भत्ता मिला था।
कभी भी जितना आपको सहायक भत्ता मिला है उससे ज्यादा इनकम टैक्स में आपको छूट नहीं दिया जाएगा
चलिए अब इन दोनो कंडीशन को Example से समझते हैं।
Case 1: कंपनी आपको सहायक(Helper) रखने के लिए जितना पैसा देती है उससे कम आपका खर्चा होता है।

एग्जांपल के लिए मान लेते हैं कि कंपनी आपको हर महीने सहायक रखने के लिए ₹10,000 देती है।
और अगर आप अपने सहायक को केवल ₹7000 महीने देते हैं तो इनकम टैक्स में केवल 7 हजार की ही छूट मिलेगी।
बाकी बचे 3000 पर आपको टैक्स देना होगा।
Case 2: कंपनी आपको सहायक(Helper) रखने के लिए जितना पैसा देती है उससे ज्यादा आपका खर्चा होता है।

एग्जांपल के लिए मान लेते हैं कंपनी आपको हर महीने सहायक रखने के लिए ₹10000 देती है।
और आप अपनी सहायक को ₹15000 देते हैं।
तो इस स्थिति में कंपनी ने आपको जितना हेल्पर अलाउंस दिया यानी 10000 की ही छूट मिलेगी।
🟢“याद रखिए कभी भी किसी भी अलाउंस में जितना पैसा आपको मिलेगा उससे ज्यादा की छूट आपको कभी नहीं मिलेगी।”
हेल्पर भत्ता (Helper Allowance) क्या है?
जब कंपनी या एंपलॉयर द्वारा कर्मचारी को ऑफिशियल वर्क के लिए सहायक(Helper) रखने के लिए सैलरी के अलावा एक्स्ट्रा पैसे देती है तो उसे हेल्पर भत्ता (Helper Allowance) कहते है।
आप किसी कंपनी में काम करते हैं और कंपनी को लगता है कि आपको अकेले किसी कार्य को करने में दिक्कत आ रही है
तो कंपनी आपको कुछ एक्स्ट्रा पैसे दे देती है अपने नीचे एक सहायक(Helper) रखने के लिए।